Sunday 23 October 2016

करें रजनीगंधा की खेती, हर महीने होगी लाखों में कमाई





फूलों की खेती लाभदायक होती है इस बात के प्रमाण आपको बहुत सारे मिल जाएंगे। लेकिन, इस बात का चुनाव करना बेहद जरूरी होता है कि कौन से फूलों की खेती कम लागत में ज्‍यादा लाभदायक होती है। रजनीगंधा उगाने में न सिर्फ खर्च कम आएगा बल्कि इससे कमाई आप 2 से 2.5 लाख रुपए महीना तक कर सकते हैं।

2 से 2.5 लाख रुपए आती है लागत-

रजनीगंधा फूलों की खेती को भारत के हर हिस्‍से में किया जा सकता है।
रजनीगंधा के बीज के स्‍थान पर इसकी कलम रोपना ज्‍यादा अच्‍छा रहता है।
लगभग 1 हेक्‍टेयर में करीब 12 क्विंटल कलमें रोपी जाती हैं।
कलमों और इसे रोपने व शुरूआती देखरेख में खर्च 1 से 1.5 लाख रुपए आता है।
खास बात है कि रजनीगंधा की फसल को कीट और बीमारियों का कोई खतरा नहीं होता।

3 प्रजातियों की है ज्‍यादा डिमांड-

भारत में रजनीगंधा की तीन प्रजातियों को बेाया जाता है जिनकी खासी डिमांड है।
मैक्‍सीकन सिंगल या कलकत्‍ता सिंगल प्रजाति के फूल सफेद रंग के होते हैं।
कलकत्‍ता डबल: इस प्रजाति के फूलों पर दोहरी पंखुड़ी होती है हल्‍का गुलाबी होता है।
स्‍वर्णलता: भी डबल किस्‍म की तरह ही है इस पर भी हल्‍की गुलाबी रंग की पंखुड़ी होती है।

90 से 120 दिन की होती है फसल-

रजनीगंधा की तीनो प्रजातियों पर 90 से 120 दिनों बाद फूल आने लगते हैं।
एक हेक्‍टेयर खेत से 2.5 से 3 लाख स्‍पाईक (फूल समेत डंठल) मिल जाते हैं।
इसके अलावा 15 से 20 टन बल्‍ब व लेट्स भी प्राप्‍त होते हैं जिनकी अलग कीमत होती है।
यह पहले साल की फसल है, रजनीगंधा लगातार 3 सालों तक फसल देता है।
यदि आप कुछ अंतराल के बाद हर दिन फूल लेना चाहते हैं तो 15वें दिन रोपाई करें।

सिर्फ फूलों से होगी 25 से 30 लाख की कमाई-

रजनीगंधा के एक स्‍पाईक की विभिन्‍न मंडियों में कीमत 12 से 20 रुपए मिलती है।
यदि 2.5 लाख स्‍पार्इक होते हैं और कम से 10 रुपए भी कीमत भी मिलती है।
इस हिसाब से आप पूरे साल में 25 लाख रुपए सिर्फ फूलों से कमा सकते हैं।
बल्‍व आदि बेचकर लागत काटकर 2 से 2.5 लाख रुपए प्रति माह आराम से कमाई होती है।

लगभग हर राज्‍य में मिलती है मदद-

रजनीगंधा की मांग विदेशों में भी बहुत है। इसकी खपत पूरे साल लगभग एक जैसी होती है।
उत्‍तर प्रदेश, कर्नाटक, छत्‍तीसगढ़, महाराष्‍ट्र, गुजरात हरियाणा में बड़ी मात्रा में खेती होती है।
इन राज्‍यों में फ्लोरीकल्‍चर यानी फूलों की खेती के लिए सरकारी सब्सिडी दी जाती है।
अलग अलग राज्‍यों में समय समय पर सब्सिडी की सीमा अलग अलग होती है।
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